Wednesday, December 12, 2012
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,
नपुंसक मुलायम और कपटी मायावतियो की भरमार है,,
गाँधी लोहिया जयप्रकाश पर आज टुटा पहार है,,
ये कैसी मानसिकता ये कैसा विचार है ,,
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,
धर्म के नाम पर चल रहे अनाचार है ,,
कांग्रेस के हाथ बन गए आम आदमी शिकार है ,,
लालू जैसे नेताओ के चलते आज देश लाचार है ,,,
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,,
दिल के अन्दर कुछ और बहार कुछ ऐसा व्यवहार है..
Monday, February 20, 2012
मनं...
कच्चा पक्का सा है कुछ मनं मेरा ,
कुछ कठोर कुछ कोमल यादो का है बसेरा ,
सुबह से सांझ तक के सफ़र में है साथ तेरा ,
कभी थकानो में कभी ढलानों में ,
कभी मुलाकातों में कभी मुस्कानों में ,
कभी अकेले में कभी मेले में ,
पल पल संजोये रखा है तुने मेरे जीवन का.
कुछ कठोर कुछ कोमल यादो का है बसेरा ,
सुबह से सांझ तक के सफ़र में है साथ तेरा ,
कभी थकानो में कभी ढलानों में ,
कभी मुलाकातों में कभी मुस्कानों में ,
कभी अकेले में कभी मेले में ,
पल पल संजोये रखा है तुने मेरे जीवन का.
Tuesday, February 7, 2012
সুধু তুমি ...
কিছু অপুরণ সপ্নর মতো দেখি তোমাকে নদীর পারে,
কিছু না বলা কথার মতো শুনি তোমাকে কান পাতিয়ে,
কখনো তোমাকে কখনো তোমার ছবিকে দেখি মন পাতিয়ে,
কোথায় যে লুকিয়েছ তুমি ওই কালো মেঘের মধ্যে,
আশ আলো হয়ে আবার সূর্য উদয় এর মতো আমার জীবনে...
কিছু না বলা কথার মতো শুনি তোমাকে কান পাতিয়ে,
কখনো তোমাকে কখনো তোমার ছবিকে দেখি মন পাতিয়ে,
কোথায় যে লুকিয়েছ তুমি ওই কালো মেঘের মধ্যে,
আশ আলো হয়ে আবার সূর্য উদয় এর মতো আমার জীবনে...
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