
aamar moner katha.....
Tuesday, October 22, 2013
क्या भाजपा की रबड़ी पकेगी ?

Wednesday, December 12, 2012
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,
नपुंसक मुलायम और कपटी मायावतियो की भरमार है,,
गाँधी लोहिया जयप्रकाश पर आज टुटा पहार है,,
ये कैसी मानसिकता ये कैसा विचार है ,,
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,
धर्म के नाम पर चल रहे अनाचार है ,,
कांग्रेस के हाथ बन गए आम आदमी शिकार है ,,
लालू जैसे नेताओ के चलते आज देश लाचार है ,,,
धू धू करते देश में लपटों की अंगार है ,,,
दिल के अन्दर कुछ और बहार कुछ ऐसा व्यवहार है..
Monday, February 20, 2012
मनं...
कच्चा पक्का सा है कुछ मनं मेरा ,
कुछ कठोर कुछ कोमल यादो का है बसेरा ,
सुबह से सांझ तक के सफ़र में है साथ तेरा ,
कभी थकानो में कभी ढलानों में ,
कभी मुलाकातों में कभी मुस्कानों में ,
कभी अकेले में कभी मेले में ,
पल पल संजोये रखा है तुने मेरे जीवन का.
कुछ कठोर कुछ कोमल यादो का है बसेरा ,
सुबह से सांझ तक के सफ़र में है साथ तेरा ,
कभी थकानो में कभी ढलानों में ,
कभी मुलाकातों में कभी मुस्कानों में ,
कभी अकेले में कभी मेले में ,
पल पल संजोये रखा है तुने मेरे जीवन का.
Tuesday, February 7, 2012
সুধু তুমি ...
কিছু অপুরণ সপ্নর মতো দেখি তোমাকে নদীর পারে,
কিছু না বলা কথার মতো শুনি তোমাকে কান পাতিয়ে,
কখনো তোমাকে কখনো তোমার ছবিকে দেখি মন পাতিয়ে,
কোথায় যে লুকিয়েছ তুমি ওই কালো মেঘের মধ্যে,
আশ আলো হয়ে আবার সূর্য উদয় এর মতো আমার জীবনে...
কিছু না বলা কথার মতো শুনি তোমাকে কান পাতিয়ে,
কখনো তোমাকে কখনো তোমার ছবিকে দেখি মন পাতিয়ে,
কোথায় যে লুকিয়েছ তুমি ওই কালো মেঘের মধ্যে,
আশ আলো হয়ে আবার সূর্য উদয় এর মতো আমার জীবনে...
Wednesday, November 16, 2011
जीवन
ख़ामोशी कि चादर ओढ़ क्यों बैठा है मुरख कि तरह ,
क्यों नहीं बाजुओ में तेरे दम बादलो कि तरह ,
क्या सोच के दिन गुजार रहा है इस दुनिया में ,
आज कोई गया कल तू भी चला जायेगा दुसरो कि तरह ,
कुछ कर कुछ गढ़ जो अमिट बन जाए इतिहास कि तरह ,
इंसान बनकर आया है न गवां जीवन पशुओ कि तरह .
क्यों नहीं बाजुओ में तेरे दम बादलो कि तरह ,
क्या सोच के दिन गुजार रहा है इस दुनिया में ,
आज कोई गया कल तू भी चला जायेगा दुसरो कि तरह ,
कुछ कर कुछ गढ़ जो अमिट बन जाए इतिहास कि तरह ,
इंसान बनकर आया है न गवां जीवन पशुओ कि तरह .
Friday, August 5, 2011
Chora Baalu...
aaj sakaal theke jano mon ta udu udu,
khunje baeraay jano sheye chora baaloo,
jekhane dujone bendhe chilaam taasher ghar,
jaake booke kore niye gaechilo baatasher jhar,
aaj o aami tomakei praane rekhechi dhore ,
aei prithivir kone aamar nijer moner sansare.
khunje baeraay jano sheye chora baaloo,
jekhane dujone bendhe chilaam taasher ghar,
jaake booke kore niye gaechilo baatasher jhar,
aaj o aami tomakei praane rekhechi dhore ,
aei prithivir kone aamar nijer moner sansare.
Tuesday, August 2, 2011
बचपन ! ! !
बचपन की यादो की गलियो में,
उन हंसी ठिठोली की यादो में,
तेरे मेरे के छोटी छोटी लड़ाईओ में,
जो खुसी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा,
वो स्कूल की घंटी का इंतज़ार,
वो हलकी फुलकी चाहतो का बाज़ार,
वो बारिश के बूंदों में होना तार तार,
जो खुसी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा,
दूर दूर तक पैदल चलना,
इसके उसके ऊपर पानी छिड़कना,
बारिश में भींगे सर पर माँ का हाथ,
जो खुशी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा.
उन हंसी ठिठोली की यादो में,
तेरे मेरे के छोटी छोटी लड़ाईओ में,
जो खुसी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा,
वो स्कूल की घंटी का इंतज़ार,
वो हलकी फुलकी चाहतो का बाज़ार,
वो बारिश के बूंदों में होना तार तार,
जो खुसी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा,
दूर दूर तक पैदल चलना,
इसके उसके ऊपर पानी छिड़कना,
बारिश में भींगे सर पर माँ का हाथ,
जो खुशी थी वो आज कहा,
जो मज़ा था वो आज कहा.
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