Wednesday, July 7, 2010

एक भीनी सी याद...

कल जब मिलते थे होती थी दिल में खनक,

प्यार की पहली लम्हों में थी अजीब सी कसक,

क्यों खीचा आता था तुम्हारी बाहों में,

क्यों आँखे भींच के खोता था तुम्हारे ख्यालो में,

आज भी तुम्हारी यादे दिल में हलचल मचा जाती है,

कुछ अनछुए देखे से सपने रुदासी छोड़ जाती है,

कभी इतनी दूरी की सोची तो न थी,

उन दिनों कभी धुप और कुछ छाया सि थी,

पर आज तनहा होके भी तुम साथ हो,

दिन को तो भूल गया बस अब रात का साथ हो,

मचलता तो आज भी मेरा मन है,

क्यों न जाने उसे एक सपना दोबारा देखने को है,

आओ तुम दोबारा अपने मदमस्त चाल में,

कर जाओ घायल मुझे डाले जाओ दोबारा जाल में .

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