कल जब मिलते थे होती थी दिल में खनक,
प्यार की पहली लम्हों में थी अजीब सी कसक,
क्यों खीचा आता था तुम्हारी बाहों में,
क्यों आँखे भींच के खोता था तुम्हारे ख्यालो में,
आज भी तुम्हारी यादे दिल में हलचल मचा जाती है,
कुछ अनछुए देखे से सपने रुदासी छोड़ जाती है,
कभी इतनी दूरी की सोची तो न थी,
उन दिनों कभी धुप और कुछ छाया सि थी,
पर आज तनहा होके भी तुम साथ हो,
दिन को तो भूल गया बस अब रात का साथ हो,
क्यों न जाने उसे एक सपना दोबारा देखने को है,
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