सादगी की जीती जागती सूरत हो तुम,
कभी न देखा हो ऐसी मूरत हो तुम ,
कच्चे मिटटी से बनी निर्मल काया हो तुम,
कुछ मीठे एहसासों से बनी रिश्तो की गठरी हो तुम ,
ये आज मुझे क्या हो गया मैं क्यों हो गया गुम,
दूरियों का मज़ा भी नजदीकिया सी लगती है,
कुछ प्यारे अनछुए पलो की सी एहसास हो तुम,
IT IS THE GREAT EXPRESSION OF SIMPLE MAN FOR THE SIMPLICITY OF SOMEONE
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